हरियाणा विधानसभा चुनाव : बीजेपी को बड़ा झटका, दो बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा

हरियाणा विधानसभा चुनाव : बीजेपी को बड़ा झटका, दो बड़े नेताओं ने दिया इस्तीफा

रतिया विधायक और किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष ने छोड़ी पार्टी

हरियाणा विधानसभा चुनाव की उम्मीदवार सूची के जारी होते ही भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। पार्टी की पहली सूची में टिकट न मिलने के कारण रतिया विधायक लक्ष्मण नापा और हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर मांडी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह घटनाक्रम पार्टी के लिए चुनावी समीकरणों में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दे सकता है।

रतिया विधायक लक्ष्मण नापा का इस्तीफा

भाजपा की उम्मीदवार सूची में रतिया विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल को टिकट दिए जाने की घोषणा के बाद से पार्टी में असंतोष फैल गया था। लक्ष्मण नापा, जो वर्तमान में रतिया विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं, ने इस निर्णय पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। नापा ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली को अपना इस्तीफा भेज दिया है, जिसमें उन्होंने टिकट वितरण के मामले में अपनी निराशा व्यक्त की है।

लक्ष्मण नापा का इस्तीफा भाजपा के लिए एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। अब यह देखना होगा कि उनकी विदाई पार्टी की चुनावी रणनीति पर क्या असर डालती है और उनके बिना रतिया में भाजपा की स्थिति कितनी प्रभावित होती है।

सुखविंदर मांडी का इस्तीफा

हरियाणा भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर मांडी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मांडी का इस्तीफा भी पार्टी की अंदरूनी राजनीति और टिकट वितरण की प्रक्रिया पर सवाल उठाता है। उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लेने के बाद एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की, जिसमें उन्होंने पार्टी की नीतियों और निर्णय प्रक्रियाओं पर अपनी असहमति जताई।

सुखविंदर मांडी के इस्तीफे से भाजपा के किसान मोर्चा की स्थिति कमजोर हो सकती है, जो कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की राजनीतिक रणनीति के लिए महत्वपूर्ण है। मांडी की विदाई पार्टी की किसान विरोधी छवि को और मजबूत कर सकती है, जिसका चुनावी परिणाम पर असर पड़ सकता है।

सुनीता दुग्गल को रतिया से टिकट पर नाराजगी

भाजपा की उम्मीदवार सूची में सुनीता दुग्गल को रतिया से टिकट मिलने पर पार्टी के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी साफ दिख रही है। सुनीता दुग्गल, जो 2014 में सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आई थीं, ने पहले भी चुनाव लड़ा था। 2014 में उन्हें रतिया से टिकट मिला था, लेकिन वे इनेलो के रविंद्र बलियाला से हार गई थीं। 2019 में लोकसभा चुनाव में उन्हें सिरसा से टिकट मिला और उन्होंने कांग्रेस के अशोक तंवर को हराया।

स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पार्टी के निर्णय पर सवाल उठाते हुए सुनीता दुग्गल को रतिया से टिकट दिए जाने का विरोध किया था। इस विरोध के बावजूद, भाजपा हाईकमान ने उनका नाम फाइनल कर दिया, जिससे पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ गया और लक्ष्मण नापा का इस्तीफा इस असंतोष का स्पष्ट उदाहरण है।

कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएँ

लक्ष्मण नापा के इस्तीफे के साथ ही उनके कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएँ तेज हो गई हैं। नापा की कांग्रेस में शामिल होने की संभावना ने हरियाणा की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। वे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मुलाकात कर सकते हैं, जो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। नापा की कांग्रेस में शामिल होने से भाजपा के खिलाफ कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो सकती है।

हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की उम्मीदवार सूची जारी होने के बाद पार्टी को जो झटका लगा है, उसने चुनावी समीकरणों को प्रभावित किया है। लक्ष्मण नापा और सुखविंदर मांडी के इस्तीफे से पार्टी के अंदरूनी संघर्ष और असंतोष की झलक मिली है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा इन इस्तीफों से उबर पाती है या नहीं और आगामी चुनावों में पार्टी की रणनीति क्या होती है।

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