हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 : इनेलो-बसपा गठबंधन को गोपाल कांडा का समर्थन

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 : इनेलो-बसपा गठबंधन को गोपाल कांडा का समर्थन

इनेलो-बसपा गठजोड़ का नया मोड़

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में राजनीतिक समीकरणों ने एक नया मोड़ ले लिया है। इनेलो (INLD) और बसपा (BSP) के गठबंधन को गोपाल कांडा की पार्टी हलोपा (HLOPA) का समर्थन प्राप्त हो गया है। यह गठबंधन राज्य की राजनीति में एक महत्वपूर्ण विकास के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब बीजेपी (BJP) के साथ कांडा का गठजोड़ संभव नहीं हो सका।

 

गोपाल कांडा का समर्थन और इनेलो की रणनीति

सिरसा विधानसभा सीट पर गोपाल कांडा के खिलाफ इनेलो ने अपना कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है। 2019 के विधानसभा चुनावों में भी इनेलो ने सिरसा से निर्दलीय उम्मीदवार गोकुल सेतिया को समर्थन दिया था। इस बार गोकुल सेतिया कांग्रेस (Congress) के उम्मीदवार हैं और वह कांडा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में भी कांडा और सेतिया के बीच मुकाबला देखा गया था, जिसमें कांडा विजयी रहे थे।

 

अभय चौटाला की प्रतिक्रिया

इनेलो के नेता अभय चौटाला ने गठबंधन पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “गोपाल कांडा के साथ हमारा पुराना भाईचारा है। हम सिरसा जिले की पांचों सीटों पर एक-दूसरे का सहयोग करेंगे।” यह बयान इनेलो और हलोपा के बीच मजबूत रिश्तों और सहयोग की भावना को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इनेलो के 51, बसपा के 37 और हलोपा का एक प्रत्याशी चुनाव मैदान में है।

 

इनेलो की सिंबल बचाने की चुनौती

इनेलो को इस बार अपने चश्मा सिंबल को बचाने के लिए महत्वपूर्ण चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। खबरों के अनुसार, इनेलो को अपने सिंबल को बचाने के लिए हरियाणा में 6 प्रतिशत वोट प्राप्त करने के साथ दो हलकों में जीत या कुल 8 प्रतिशत वोट हासिल करने की जरूरत है। 2019 के चुनाव में बसपा को 4.2 प्रतिशत और इनेलो को 2.5 प्रतिशत वोट मिले थे, जो कि इस बार की स्थिति को देखते हुए चुनौतीपूर्ण हैं।

 

चुनावी मुकाबला और आगामी रणनीतियाँ

चुनावों के नजदीक आते ही सभी दल अपनी-अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। गोपाल कांडा और गोकुल सेतिया के बीच संभावित टकराव के साथ-साथ इनेलो-बसपा गठबंधन की राजनीति में अपनी जगह बनाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। इनेलो के पास जहां एक ओर अपने पुराने गठबंधनों को पुनर्जीवित करने की कोशिश है, वहीं बसपा और हलोपा के साथ मिलकर उन्हें अपनी ताकत को बढ़ाने का अवसर मिला है।

 

सिरसा में होने वाले इस महत्वपूर्ण मुकाबले और अन्य सीटों पर होने वाले चुनावी संघर्ष को देखते हुए, आगामी चुनाव हरियाणा की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकते हैं। यह चुनाव परिणाम केवल पार्टी के भविष्य के लिए ही नहीं, बल्कि राज्य की राजनीतिक दिशा के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे।

 

 

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