Battery Waste: इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन के बीच क्यों है भारत में पुरानी बैटरी का संकट

 

इलेक्ट्रिक वाहनों का बढ़ता चलन

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) का चलन तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन इसके साथ ही एक गंभीर समस्या भी उभरकर सामने आ रही है: पुरानी बैटरियों का संकट। जब हम स्वच्छ ऊर्जा के स्रोतों की बात करते हैं, तो बैटरियों की उचित और टिकाऊ रीसाइक्लिंग की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। मौजूदा समय में, बैटरी रीसाइक्लिंग उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो न केवल आर्थिक बल्कि पर्यावरणीय संकट भी पैदा कर सकते हैं।

बैटरी रीसाइक्लिंग की चुनौतियाँ

बैटरी रीसाइक्लिंग उद्योग में सबसे बड़ा संकट कम कीमत वाली रीसाइक्लिंग प्रणालियों का उदय है। इस समस्या ने धोखाधड़ी करने वाले खिलाड़ियों की एंट्री को बढ़ावा दिया है, जिससे पर्यावरणीय आपदाएँ भी हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति के कारण भारत को महत्वपूर्ण खनिजों, जैसे लिथियम, कोबाल्ट और निकल, के आयात में अनुमानित 1 अरब अमरीकी डॉलर का विदेशी मुद्रा नुकसान हो सकता है।

सर्कुलर अर्थव्यवस्था का महत्व

सर्कुलर अर्थव्यवस्था की दिशा में बढ़ना आवश्यक है, ताकि ऊर्जा के स्वच्छ विकल्पों पर निर्भरता के साथ-साथ बैटरियों की टिकाऊ रीसाइक्लिंग भी सुनिश्चित की जा सके। मैटेरियल रीसाइक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एमआरएआई) और अन्य विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया है कि बैटरी रीसाइक्लिंग में स्थिरता और प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए एक्सटेंडेड प्रॉड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) फ्लोर प्राइस को उच्च स्तर पर निर्धारित किया जाए।

ईपीआर फ्लोर प्राइस का महत्व

एमआरएआई के अनुसार, ईपीआर के तहत बैटरी उत्पादकों को सुरक्षित रीसाइक्लिंग सुनिश्चित करना अनिवार्य है। वर्तमान में, कम ईपीआर कीमतें बैटरियों के संग्रह और प्रबंधन में बाधा उत्पन्न कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया स्थिरता और पैमाने को हासिल करने में विफल हो रही है।

उदाहरण के लिए, 4,000 रुपये के पावर बैंक के मामले में, ईपीआर मूल्य में 0.6 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी की जा सकती है, जो कि वस्तु की बिक्री मूल्य में बहुत छोटा परिवर्तन है। यह सुनिश्चित करेगा कि बैटरी रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया लाभदायक हो सके।

सुरक्षित परिवहन और प्रदूषण नियंत्रण उपाय

बैटरी रीसाइक्लिंग में जोखिम और लागत को कम करने के लिए सुरक्षित परिवहन और प्रदूषण नियंत्रण उपाय भी आवश्यक हैं। बैटरी रीसाइक्लिंग में प्रॉड्यूसर द्वारा वहन की गई लागत में उचित ईपीआर मूल्य को शामिल करने से उद्योग को स्थिरता प्राप्त होगी।

सरकार की भूमिका

हाल ही में, एमआरएआई ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को एक प्रस्तुति दी, जिसमें ईपीआर फ्लोर प्राइस को संशोधित करने का अनुरोध किया गया। सरकार से यह अपेक्षित है कि वह एक उचित ईपीआर फ्लोर प्राइस निर्धारित करे और एक टिकाऊ बैटरी रीसाइक्लिंग उद्योग के निर्माण के लिए कार्यान्वयन, पारदर्शिता और नियमित ऑडिटिंग सुनिश्चित करे।

नई तकनीकों की आवश्यकता

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट और वाटर (सीईईडब्ल्यू) की कार्यक्रम प्रमुख आकांक्षा त्यागी ने सुझाव दिया कि सीपीसीबी विभिन्न तकनीकों और व्यावसायिक मॉडलों के आधार पर बैटरी रीसाइक्लिंग के अर्थशास्त्र पर एक अध्ययन शुरू कर सकता है। यह अध्ययन ईपीआर फ्लोर प्राइस के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

 

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते चलन के साथ, बैटरी रीसाइक्लिंग का मुद्दा और भी महत्वपूर्ण हो गया है। यदि उचित उपाय नहीं किए गए, तो यह समस्या न केवल आर्थिक बल्कि पर्यावरणीय संकट का कारण बन सकती है। टिकाऊ और प्रतिस्पर्धात्मक बैटरी रीसाइक्लिंग सुनिश्चित करने के लिए ईपीआर फ्लोर प्राइस में वृद्धि और सुरक्षित रीसाइक्लिंग प्रक्रियाओं की आवश्यकता है। इस दिशा में सरकार, उद्योग और विशेषज्ञों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है ताकि भारत एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ सके।

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