हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 : निर्दलीय नामांकन के लिए 4 मिनट की देरी, नेता को करना पड़ेगा पांच साल का इंतजार
निर्दलीय प्रत्याशी का नामांकन अटक गया
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के लिए 12 सितंबर को नामांकन की अंतिम तिथि थी। इस दिन, कई प्रमुख नेताओं ने अपने-अपने नामांकन पत्र दाखिल किए। हालांकि, एक निर्दलीय प्रत्याशी के लिए यह दिन विशेष रूप से निराशाजनक साबित हुआ। रोहतक शहर से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरने का इरादा रखने वाले धर्मपाल केवल चार मिनट की देरी से नामांकन प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सके। इस देरी के कारण उन्हें अगले पांच वर्षों तक चुनावी भाग्य आजमाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा।
नामांकन की प्रक्रिया और देरी की वजह
धर्मपाल, जो कि एक किसान हैं और राजनीति में गहरी रुचि रखते हैं, ने 12 सितंबर को अपना नामांकन दाखिल करने का प्रयास किया। सुबह 11 बजे अपने साथियों के साथ घर से निकलने के बाद, धर्मपाल और उनके सहयोगियों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। सबसे पहले, उनकी कार में देरी हुई, जिससे वे दिल्ली बाईपास पर काफी देर तक फंसे रहे। इसके बाद, तहसील कार्यालय में कागजात तैयार करने और नोटरी से मुहर लगवाने की प्रक्रिया में भी समय लगा।
धर्मपाल के सहयोगी कृष्ण के अनुसार, उन्होंने सोचा कि चूंकि सरकारी कार्यालय सामान्यतः 4 बजे तक खुले रहते हैं, इसलिए वे 4 बजे तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। लेकिन, जब वे लगभग 3 बजकर 4 मिनट पर एसडीएम कार्यालय पहुंचे, तो पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया। पुलिस ने बताया कि नामांकन केवल 3 बजे तक ही स्वीकार किए जा सकते हैं, और अब देर हो चुकी है।
निराशाजनक स्थिति और भविष्य की योजनाएँ
धर्मपाल और उनके साथी इस स्थिति से अत्यंत निराश हुए। जब एसडीएम कार्यालय में उनके नामांकन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई, तो वे अपने घर लौट गए। इस घटना ने उनके चुनावी सपनों को एक ठेस पहुंचाई है। धर्मपाल को अब अगले पांच साल तक चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिलेगा, और इस समयावधि में उन्हें अपने राजनीतिक लक्ष्यों को स्थगित रखना पड़ेगा।
12 सितंबर को नामांकन की अंतिम तिथि थी, और इस दिन के समाप्त होने के बाद चुनावी प्रक्रिया में किसी भी बदलाव की संभावना नहीं है। धर्मपाल की देरी ने उन्हें चुनावी मैदान से बाहर कर दिया है, और अब वे आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए अगले पांच वर्षों तक इंतजार करेंगे।
समय की कद्र और चुनावी तैयारी
यह घटना यह भी दर्शाती है कि चुनावी प्रक्रिया में समय की पाबंदी कितनी महत्वपूर्ण होती है। धर्मपाल की देरी ने उन्हें चुनावी अवसर से वंचित कर दिया, और यह एक महत्वपूर्ण सीख प्रदान करती है कि समय की कद्र करना और अपनी तैयारियों को समय पर पूरा करना कितना आवश्यक है। चुनावी अभियान में हर मिनट की अहमियत होती है, और किसी भी प्रकार की देरी की कीमत चुकानी पड़ सकती है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के इस पूरे घटनाक्रम ने चुनावी तैयारी की महत्वता को और भी स्पष्ट कर दिया है। धर्मपाल की स्थिति अन्य नेताओं और प्रत्याशियों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने नामांकन और चुनावी गतिविधियों को समय पर पूरा करने के लिए पूरी सतर्कता बरतें।