हरियाणा विधानसभा चुनाव : कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं, टिकट न मिलने पर कई दिग्गज नेता उतरे निर्दलीय चुनावी मैदान में
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही कांग्रेस पार्टी में भी बगावत की लहर दौड़ गई है। टिकट वितरण के मुद्दे पर कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी की प्राथमिकता से नाराज होकर निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया है। इस स्थिति ने कांग्रेस की चुनावी रणनीति को चुनौती दी है और यह पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है।
कांग्रेस के टिकट वितरण पर बगावत
कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर असंतोष बढ़ गया है। पार्टी द्वारा कई महत्वपूर्ण सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा के बाद, कुछ नेताओं ने निराशा जताई और निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरने का निर्णय लिया। खासकर पटौदी और सोहना सीटों पर इस बगावत ने पार्टी को गंभीर स्थिति में डाल दिया है। इसके अलावा, गुड़गांव और बादशाहपुर सीटों पर भी अंदरूनी गड़बड़ियों की खबरें आ रही हैं।
पटौदी और सोहना सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार
पटौदी विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने 12 सितंबर की रात को पर्ल चौधरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया। पर्ल चौधरी पूर्व विधायक भूपेंद्र चौधरी की बेटी हैं। भूपेंद्र चौधरी ने 2005 में कांग्रेस के टिकट पर पटौदी से जीत हासिल की थी। हालांकि, इसके बाद 2009, 2014, और 2019 में कांग्रेस यहां से जीतने में विफल रही। सुधीर चौधरी ने 2014 और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इस बार कांग्रेस को उम्मीद है कि सुधीर चौधरी की बेटी पर्ल चौधरी इस बार सीट को जीत सकेंगी।
सहयोगी सूत्रों का कहना है कि पटौदी और सोहना सीटों पर टिकट न मिलने के कारण कई नेता नाराज हैं। गुड़गांव और बादशाहपुर सीटों पर भी पार्टी के भीतर असंतोष देखा जा रहा है। इन असंतोषपूर्ण नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जिससे कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं को खतरा पैदा हो गया है।
कांग्रेस नेताओं की चुप्पी और अंदरूनी असंतोष
खबरों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं में पटौदी और सोहना सीटों पर बगावत खुलकर सामने आई है। हालांकि, गुड़गांव और बादशाहपुर सीटों पर भी नेताओं के बीच अंदरखाने की लड़ाई चल रही है, लेकिन कोई भी खुलकर अपनी नाराजगी व्यक्त करने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि इन नेताओं के समर्थक सोशल मीडिया और वाट्सएप ग्रुपों पर अपनी नाराजगी और असंतोष व्यक्त कर रहे हैं।
संभावित असर और कांग्रेस की चुनावी रणनीति
कांग्रेस के भीतर इस बगावत का संभावित असर विधानसभा चुनावों पर पड़ा सकता है। निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से पार्टी की स्थिति कमजोर हो सकती है, और इससे मुकाबला मुश्किल हो सकता है। कांग्रेस को अब अपनी चुनावी रणनीति को पुनः समीक्षा करने की जरूरत है और बगावत की आग को बुझाने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने होंगे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। पार्टी के भीतर बगावत और निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से कांग्रेस की चुनावी स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कांग्रेस इन समस्याओं को कैसे संभालती है और चुनावी रणनीति में सुधार कर पाती है या नहीं।