पुराणी गाड़ियों पर जुर्माना और AAP सरकार की गाइडलाइन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती,देखें डिटेल

 

कबाड़ वाहनों पर जुर्माना और दिशा-निर्देशों का विवाद

दिल्ली की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर कबाड़ हो चुकी गाड़ियों को लेकर जारी किए गए नए दिशानिर्देशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन दिशा-निर्देशों का पिछली तारीख से लागू होना मनमाना है और यह संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करता है।

पुराने वाहनों की समस्या

दिल्ली जैसे बड़े शहरों में पुरानी गाड़ियों का सार्वजनिक स्थानों पर पार्क करना एक बड़ी समस्या बन गया है। 10 साल या उससे अधिक पुरानी गाड़ियों को सार्वजनिक जगहों पर रखना न केवल ट्रैफिक की स्थिति को बिगाड़ता है, बल्कि यह पर्यावरण पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है। इस समस्या को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने फरवरी 2023 में जीवनकाल पूरा कर चुकी गाड़ियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए थे।

जुर्माने का प्रावधान

नई गाइडलाइन के अनुसार, जब्त किए गए चारपहिया वाहनों पर 10,000 रुपये और दोपहिया वाहनों पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह जुर्माना तब तक लागू रहेगा जब तक कि वाहन के मालिक उसे सार्वजनिक स्थान से हटा नहीं लेते। इससे पहले, कई नागरिकों ने इस प्रावधान का विरोध किया था, जिसका असर अब सुप्रीम कोर्ट में दिखाई दे रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में याचिका की प्रमुख बातें

याचिका को नागलक्ष्मी लक्ष्मी नारायण द्वारा दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि कबाड़ घोषित वाहनों को सार्वजनिक स्थानों पर रखने के संबंध में जारी दिशानिर्देशों का पिछली तारीख से लागू होना गलत है। याचिका में यह भी कहा गया है कि ऐसे दिशानिर्देशों का कार्यान्वयन आवेदक की वैध अपेक्षाओं का उल्लंघन करता है।

वाहनों की वास्तविक स्थिति का ध्यान न रखना

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि बिना वाहनों की वास्तविक स्थिति और उनके द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण पर ध्यान दिए, इन्हें कबाड़ घोषित करने के नियम लागू किए जा रहे हैं। इससे न केवल वाहन मालिकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि यह नियम भी न्यायसंगत नहीं हैं।

दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया

दिल्ली सरकार ने कबाड़ वाहनों को लेकर अपने दिशा-निर्देशों में उल्लेख किया है कि इन वाहनों को सार्वजनिक स्थानों से हटाने के लिए लगातार प्रवर्तन अभियान चलाए जाने चाहिए। इसके तहत वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के समक्ष पेश करने के लिए पर्यावरण विभाग को रोजाना रिपोर्ट भी भेजी जानी चाहिए।

जब्ती की प्रक्रिया

सरकार ने जब्त वाहनों को छोड़ने की प्रक्रिया दो श्रेणियों में बांट दी है। पहली श्रेणी में वे वाहन हैं जिन्हें दिल्ली-एनसीआर से बाहर ले जाने के लिए तैयार लोग हैं, जबकि दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो अपने वाहनों को निजी स्थानों पर रखना चाहते हैं। दूसरी बार जब्त किए गए पुराने वाहनों और 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल-चालित वाहनों को फिर से नहीं छोड़ा जा सकता।

 

दिल्ली सरकार के पुराने वाहनों पर लागू की गई नई गाइडलाइन पर सुप्रीम कोर्ट में उठे सवाल, इस मुद्दे की गंभीरता को दर्शाते हैं। यदि यह गाइडलाइन संविधान के अंतर्गत संपत्ति के अधिकार का उल्लंघन करती है, तो यह एक बड़ा कानूनी विवाद बन सकता है। अब देखना यह होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय सुनाता है और क्या दिल्ली सरकार अपने दिशा-निर्देशों में संशोधन करेगी।

इस मामले ने एक बार फिर से पर्यावरण और नागरिक अधिकारों के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को उजागर किया है।

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