पीएम ई-ड्राइव योजना: मोदी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए नई पहल की

 

नई योजना का उद्देश्य

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को गति देने के लिए एक नई योजना का अनावरण किया है, जिसका नाम है पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एनहांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव)। यह योजना पहले की फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ (हाइब्रिड एंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना का स्थान लेगी, जो मार्च 2023 में समाप्त हो गई थी। पीएम ई-ड्राइव योजना का उद्देश्य दोपहिया, थ्री-व्हीलर, इलेक्ट्रिक बसों और ट्रकों के उपयोग को बढ़ावा देना है।

पीएम ई-ड्राइव योजना का लाभ

इस योजना के तहत कुल 24.79 लाख इलेक्ट्रिक दोपहिया, 3.16 लाख इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर और 14,028 इलेक्ट्रिक बसों को सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, देशभर में 88,500 स्थानों पर चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी।

वित्तीय सहायता

सरकार ने इस योजना के लिए 10,900 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है। यह योजना भारी उद्योग मंत्रालय के तहत लागू की जाएगी और अगले दो वर्षों तक चलने की उम्मीद है।

किस प्रकार के वाहनों को मिलेगा फायदा?

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, थ्री-व्हीलर, ट्रक, बस और एम्बुलेंस की खरीद पर सब्सिडी दी जाएगी। हालांकि, इसमें इलेक्ट्रिक कारों को शामिल नहीं किया गया है, जिससे यह योजना मुख्य रूप से कमर्शियल और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर पर केंद्रित है।

सरकार का दावा

सरकार का कहना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए 3,679 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अलावा, राज्य परिवहन इकाइयों द्वारा 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए 4,391 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।

इलेक्ट्रिक बसों पर जोर

सरकार ने 40 लाख से अधिक आबादी वाले 9 प्रमुख शहरों – दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, सूरत, बैंगलोर, पुणे और हैदराबाद में इलेक्ट्रिक बसों की मांग को CESL (केंद्रीय इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट) द्वारा एकत्र करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा, राज्यों के साथ बातचीत के बाद अंतर्राज्यीय और अंतरराज्यीय इलेक्ट्रिक बसों को भी सहायता प्रदान की जाएगी।

इलेक्ट्रिक वाहनों की धीमी गति के कारण

हालांकि, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की अपनाने की प्रक्रिया अभी भी धीमी है। पिछले वित्तीय वर्ष में इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री में दोपहिया वाहनों का हिस्सा 56% था, जबकि थ्री-व्हीलर का हिस्सा 38% था। चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी इस धीमी बिक्री का मुख्य कारण है। बहुत से लोग लंबी दूरी की यात्रा के दौरान चार्जिंग की समस्या के कारण चिंतित रहते हैं।

चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार

पीएम ई-ड्राइव योजना के तहत, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के साथ-साथ चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए भी भारी निवेश किया जाएगा। योजना के अंतर्गत इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों के लिए 22,100 फास्ट चार्जर लगाने की योजना है, जिसके लिए 2,000 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है।

 

पीएम ई-ड्राइव योजना के माध्यम से, मोदी सरकार का लक्ष्य है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देकर भारत को प्रदूषण मुक्त और हरित भविष्य की ओर ले जाया जाए। यह योजना न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी। इस योजना के सफल कार्यान्वयन से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में तेजी से वृद्धि होने की संभावना है, जिससे एक स्वच्छ और हरित भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।

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