सावित्री जिंदल को टिकट नहीं मिलने की वजहें : बीजेपी में टिकट की जंग और जिंदल परिवार का राजनीतिक भविष्य

सावित्री जिंदल को टिकट नहीं मिलने की वजहें : बीजेपी में टिकट की जंग और जिंदल परिवार का राजनीतिक भविष्य

हरियाणा में टिकट वितरण की राजनीति में उथल-पुथल

हरियाणा विधानसभा चुनावों के चलते टिकट वितरण को लेकर राजनीति में हलचल मची हुई है। इस बार हिसार विधानसभा क्षेत्र की चर्चा खासतौर पर सुर्खियों में रही है, जहां बीजेपी ने सावित्री जिंदल को टिकट नहीं दिया। इसके बजाय, पार्टी ने डॉ. कमल गुप्ता को उम्मीदवार घोषित किया है, जो पहले भी इस सीट से दो बार जीत चुके हैं। इस फैसले ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का नया विषय पैदा कर दिया है, खासकर जब सावित्री जिंदल जैसे प्रमुख नाम का टिकट कट गया है।

 

सावित्री जिंदल: देश की सबसे धनी महिला और राजनीतिक पृष्ठभूमि

सावित्री जिंदल, जो देश की सबसे धनी महिला मानी जाती हैं, उनके बारे में जानकारी देना आवश्यक है। फोर्ब्स मैगजीन के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 39.5 बिलियन डॉलर है। वह देश के 10 सबसे धनी व्यक्तियों की सूची में शामिल एकमात्र महिला हैं। सावित्री जिंदल ओपी जिंदल ग्रुप की चेयरपर्सन एमेरिटस हैं और 2005 में ओपी जिंदल के निधन के बाद उन्होंने समूह की बागडोर संभाली।

 

राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखने के बाद, सावित्री जिंदल ने 2005 में हिसार से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 2009 में उन्होंने फिर से चुनाव जीतकर विधानसभा में कदम रखा और 2013 में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं। उनके राजनीतिक करियर ने उन्हें एक महत्वपूर्ण स्थिति में पहुंचाया, लेकिन हालिया टिकट वितरण के फैसले ने उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।

 

टिकट वितरण में बीजेपी की रणनीति

बीजेपी ने हिसार विधानसभा सीट पर सावित्री जिंदल को टिकट न देने का निर्णय लिया और इसके बजाय डॉ. कमल गुप्ता को मैदान में उतारा। डॉ. गुप्ता ने लगातार दो बार इस सीट पर जीत हासिल की है, और पार्टी की रणनीति के तहत उन्हें फिर से उम्मीदवार बनाया गया है। यह फैसला पार्टी के भीतर गहराई से विचार-विमर्श के बाद लिया गया है, और इसका उद्देश्य पार्टी की मजबूत स्थिति बनाए रखना है।

 

सावित्री जिंदल की प्रतिक्रिया और भविष्य की योजना

बीजेपी से टिकट कटने के बावजूद, सावित्री जिंदल ने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया है। उन्होंने हिसार पहुंचकर अपने समर्थकों से कहा कि वह चुनाव में जरूर भाग लेंगी। जिंदल ने अपने समर्थकों से कहा कि वह उनके आदेश का पालन करेंगी और पार्टी से नाराजगी की बात को नकारते हुए कहा कि उन्होंने बीजेपी की सदस्यता नहीं ली है, बल्कि उनके बेटे नवीन जिंदल और हिसार में रणजीत सिंह चौटाला के लिए चुनाव प्रचार किया था।

 

सावित्री जिंदल ने कहा कि यह उनका अंतिम चुनाव हो सकता है और वह जीत कर हिसार में बाकी बचे काम को पूरा करने की कोशिश करेंगी। उनका यह बयान दर्शाता है कि उन्होंने पार्टी के फैसले को लेकर अपने समर्थकों को पूरी तरह से भरोसा दिया है और भविष्य की योजना को स्पष्ट किया है।

 

हरियाणा विधानसभा चुनावों में टिकट वितरण का मुद्दा एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटना के रूप में सामने आया है। सावित्री जिंदल का टिकट कटना और डॉ. कमल गुप्ता का उम्मीदवार बनना बीजेपी की रणनीतिक योजना का हिस्सा है। जिंदल का राजनीति में स्थान और उनकी प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि राजनीतिक खेल में बदलाव और चुनौती दोनों ही सामान्य हैं। आने वाले दिनों में चुनाव परिणाम इस बात को स्पष्ट करेंगे कि बीजेपी के निर्णय ने कितना प्रभाव डाला और सावित्री जिंदल का राजनीतिक भविष्य किस दिशा में बढ़ेगा।

 

 

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