हरियाणा में कांग्रेस को झटका : शिवनारायण शर्मा ने छोड़ी पार्टी

हरियाणा में कांग्रेस को झटका : शिवनारायण शर्मा ने छोड़ी पार्टी

शिवनारायण शर्मा का कांग्रेस से मोहभंग

हरियाणा के जींद से कांग्रेस नेता शिवनारायण शर्मा ने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया है, जिससे कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें उन्होंने कहा कि उन्होंने बीरेंद्र सिंह को अपने राजनीतिक करियर में ‘भगवान’ की तरह माना। हालांकि, उनकी आशाओं पर पानी फेरते हुए, बीरेंद्र सिंह ने उनकी बेटी को चुनावी टिकट दिलाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

 

बीरेंद्र सिंह पर आरोप

शिवनारायण शर्मा का कहना है कि पिछले 30 वर्षों से उन्होंने बीरेंद्र सिंह के राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने में योगदान दिया है। लेकिन, जब उनके परिवार के सदस्य को पार्टी में स्थान नहीं मिला, तो उनका भरोसा टूटा। शर्मा ने बताया कि जब उन्होंने बीरेंद्र सिंह से अपनी बेटी के लिए टिकट की मांग की, तो उन्हें निराशाजनक उत्तर मिला।

 

भावनात्मक आहत

शिवनारायण शर्मा ने कहा कि इस घटना से वह बेहद आहत हैं और पिछले एक सप्ताह से इस सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि न तो बीरेंद्र सिंह और न ही उनके किसी साथी ने उन्हें मनाने की कोशिश की। इससे उनका कांग्रेस पार्टी से मोहभंग हो गया है।

 

कांग्रेस के लिए चुनौती

शिवनारायण शर्मा का पार्टी छोड़ना कांग्रेस के लिए एक चुनौती है। यह कदम न केवल उनकी व्यक्तिगत नाराजगी को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि पार्टी के अंदर असंतोष बढ़ रहा है। इस प्रकार की घटनाएं पार्टी के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती हैं कि क्या वे अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं की भावनाओं को समझने में सक्षम हैं।

 

भविष्य की संभावनाएँ

अब सवाल यह है कि शिवनारायण शर्मा अपने राजनीतिक भविष्य का क्या करेंगे। क्या वह किसी अन्य पार्टी में शामिल होंगे या स्वतंत्र रूप से राजनीति करेंगे? यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन इस घटनाक्रम ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है।

 

हरियाणा के जींद से शिवनारायण शर्मा का कांग्रेस पार्टी छोड़ने का निर्णय न केवल उनके लिए, बल्कि कांग्रेस के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह घटना यह बताती है कि राजनीतिक संबंध कितने जटिल हो सकते हैं और एक व्यक्ति का आस्था टूटना कैसे बड़े प्रभाव डाल सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या अन्य नेता भी इस तरह के फैसले लेते हैं या कांग्रेस अपने कार्यकर्ताओं के साथ फिर से जुड़ने की कोशिश करेगी।

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