ब्रिटेन सरकार ने दिया बड़ा बयान,नई पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पर इस दिन होगा बैन!

2030 की जगह 2035 तक बढ़ी प्रतिबंध की अवधि

ब्रिटेन की सरकार ने 2030 तक नई पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया था, लेकिन हाल ही में इस योजना को अगले पांच सालों के लिए टालने का निर्णय लिया गया है। अब यह प्रतिबंध 2035 तक लागू होगा। यह कदम प्रधान मंत्री सर कीर स्टार्मर द्वारा 2030 तक पूरी तरह से बैन लगाने की प्रतिज्ञा के बावजूद उठाया गया है।

जलवायु परिवर्तन और इलेक्ट्रिक वाहनों की चुनौतियाँ

ब्रिटेन सरकार ने जलवायु परिवर्तन से निपटने और वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से पेट्रोल और डीजल कारों पर बैन लगाने का फैसला लिया था। लेकिन सरकार ने देखा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की लागत काफी अधिक है और उनके पुनर्विक्रय मूल्य, रेंज और चार्जिंग पॉइंट्स की कमी भी एक बड़ी समस्या है। इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने 2035 तक इस बैन को टालने का निर्णय लिया।

मौजूदा कारों पर बैन का असर

इस नए निर्णय के तहत मौजूदा पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री और उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा। इसका मतलब है कि लोग अपनी पुरानी पेट्रोल और डीजल कारों को सड़क पर चलाते रह सकते हैं और इन्हें खरीदने या बेचने की स्वतंत्रता बनी रहेगी। हालांकि, नई पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री 2035 से पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगी।

अन्य देशों के बैन की योजनाएँ

ब्रिटेन का यह निर्णय अकेला नहीं है। कई अन्य देश भी पेट्रोल और डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं। जर्मनी, ग्रीस, आइसलैंड, इज़राइल, नीदरलैंड्स, स्वीडन, और डेनमार्क ने 2030 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली नई कारों की बिक्री पर पाबंदी लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा, ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, मिस्र, अल साल्वाडोर, आयरलैंड, मेक्सिको, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, पोलैंड, स्पेन और तुर्की ने 2040 तक इस तरह की कारों पर बैन लगाने का निर्णय लिया है।

आलोचनाएँ और प्रतिक्रियाएँ

सरकार के इस निर्णय की आलोचनाएँ भी हो रही हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव से जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में बाधा उत्पन्न हो सकती है। वहीं, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार ईवी की लागत को नियंत्रित करने और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की दिशा में कदम उठाती है, तो भविष्य में बैन लगाने के लक्ष्य को पूरा किया जा सकता है।

 

ब्रिटेन की सरकार का नया निर्णय पेट्रोल और डीजल कारों पर बैन की तारीख को 2035 तक टालने का है, जो जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों और इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च लागत को देखते हुए लिया गया है। यह निर्णय न केवल ब्रिटेन, बल्कि दुनिया भर के अन्य देशों के बैन योजनाओं पर भी प्रभाव डाल सकता है। भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता और लागत में सुधार होने की उम्मीद के साथ, यह देखना दिलचस्प होगा कि कैसे ब्रिटेन और अन्य देशों अपनी पर्यावरणीय लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।

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